01 October, 2023

मथोली गांव-इस गॉंव में महिलाएं है हर काम में अव्वल

women village matholi uttarakhand

Rural tales की मुहिम ला रही है रंग

उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कई युवा आगे बढ़कर कार्य कर रहे है। इन्ही युवाओ में एक नाम है प्रदीप पंवार जिन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से बेसिक और एडवांस कोर्स भी किया है। केदारनाथ आपदा के बाद राहत बचाव में जुटे और उसके बाद ग्रामीण पर्यटन को उत्तराखंड में बढ़ावा दे रही the Goat village के साथ जुड़ गए।

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प्रदीप पंवार के गाँव मथोली में है पर्यटन की असीम संभावनाएं

मथोली गाँव उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले चिन्यालीसौड़ ब्लॉक में स्थित है। इस गॉंव में छानियाँ, जंगल, गाड़ गदेरे, झरने मिलेंगे। गाँवों में लहलहाते खेत दिखेंगे। इस ट्रेल मैं पहाड़ी गांवों की लोक संस्कृति, खान पान, पशुपालन और इको सिस्टम आप देख पाएंगे। खास बात है कि पिछली बार हमने इस गॉंव को एक्स्प्लोर किया था। प्रदीप पंवार ने अपनी छानी जिसमे पशु रहते है उसे होम स्टे में बदल दिया।

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अपने गाँव में रोजगार ढूंढ रहे प्रदीप ने काफी मेहनत के बाद अब इस गॉंव को पर्यटन की दृष्टि से आगे बढ़ाने की सोची। इसके साथ ही गाँव के युवाओं और महिलाओ को भी इसमें जोड़ा गया।

पारंपरिक फसलों से लहलहाते है इस गॉंव के खेत

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यह गांव गंगोत्री नेशनल हाईवे पर चिन्यालीसौड़ बाजार से मात्र 10 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर अभी भी ट्रेडीशनल फार्मिंग होती है जैसे मंडुआ, झंगोरा, चौलाई, गहत और लाल चावल, पानी के अभाव के कारण यहां पर उन्ही फसलों की बुवाई की जाती है जिन्हें पानी की ज्यादा आवश्यकता  नहीं होती है, यहां लाल चावल को काफी मात्रा में उत्पादन किया जा सकता है। मथोली गाँव और इस पूरी ट्रेल में  30-40 गाव है। इको टूरिज्म से इस वैली को जोड़ा जा सकता है। इस गॉंव की सबसे अच्छी खूबी है कि चिन्यालीसौड़ में ही मेडिकल सुविधा उपलब्ध है।

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Mud हाउस बनने की कहानी

इस गॉंव की सबसे बड़ी खूबी है कि दिल्ली से एक ही दिन में यहाँ पहुँचा जा सकता है। देहरादुन से 130 किमी की दूरी पर मथोली गाँव स्थित है। गॉंव में हिमालय और टिहरी डैम की झील दिखती है।

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गढ़वाल विवि से स्नातक की पढ़ाई के बाद प्रदीप ने कई संस्थाओं के साथ काम किया। The Goat village के साथ जुड़कर प्रदीप ने भी अपने पुश्तैनी छानी को एक आकर्षण और पारंपरिक घर तैयार किया है। इस पहाड़ी शैली के घर को बनाने में लकड़ी, पत्थर, पठाल और मिट्टी का प्रयोग किया है। ये घर गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म होते है। करीब एक साल तक बनाने के बाद इस घर में अब सैलानियों की चहलकदमी बढ़ गई है।

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मथोली में आयोजित हो रहा है घसियारी महोत्सव

पहाड़ की महिलाओं का संघर्ष पहाड़ जैसा है लेकिन कभी भी हमने इन महिलाओं का उत्साह नही बढ़ाया।पहाड़ की महिलाओं का प्रतिदिन घास काटने दूर दूर जाती है। इस दौरान महिलाएं अपना सुख दुख साझा करती है।

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पहाड़ के कई हिस्सों में आज भी महिलाओ के सम्मान में घसियारी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मथोली गाँव में भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान महिलाओं द्वारा घास काटने और पारंपरिक नृत्य और गीत का भी आयोजन किया जाएगा।

Contact:
Name: Pradeep Panwar
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Email: [email protected]

Sandeep Gusain

नमस्ते साथियों।

मैं संदीप गुसाईं एक पत्रकार और content creator हूँ।
और पिछले 15 सालों से विभिन्न इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनल से जुडे हूँ । पहाड से जुडी संवेदनशील खबरों लोकसंस्कृति, परम्पराएं, रीति रिवाज को बारीकी से कवर किया है। आपदा से जुडी खबरों के साथ ही पहाड में पर्यटन,धार्मिक पर्यटन, कृषि,बागवानी से जुडे विषयों पर लिखते रहता हूँ । यूट्यूब चैनल RURAL TALES और इस blog के माध्यम से गांवों की डाक्यूमेंट्री तैयार कर नए आयाम देने की कोशिश में जुटा हूँ ।

2 responses to “मथोली गांव-इस गॉंव में महिलाएं है हर काम में अव्वल”

  1. Chandni Chauhan says:

    Bahut khoobsurat.

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