मंडी जिले के जेहरा धनोट गाँव देवशिल्पियों के गॉंव के रूप में प्रसिद्ध है।

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स्थानीय लोग बताते है कि लकड़ी  में नक्काशी का कार्य उनके पूर्वजों से उन्होंने सीखा है।

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प्राचीन काष्ट कुणी शैली के मंदिरों को बनाने में करीब 2 से 5 साल लगते है। इन मंदिरों में सीमेंट वर्जित होता है।

यह ढाँचा देवदार की लकड़ी का होता है। इस ढांचे की पहली मंजिल के बाद दूसरी मंजिल में देवता होते है

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जेहरा गाँव में विष्णु भगवान, नारायनमन में माता अम्बिका का मंदिर बनाया गया है।

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जेहरा समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पर्यटन की अपार संभावनाएं है।

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मुख्य द्वार में देवदार की मोटी लकड़ियों में अलग अलग देवी देवताओं की आकृति बनाई जाती है।

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