उत्तराखंड में इस इस साल की अंतिम बर्फबारी हुई है। बद्रीनाथ, केदारनाथ,गंगोत्री,यमुनोत्री, मुक्तेश्वर, चोपता, औली, मुनस्यारी, ग्वालदम, के साथ ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में बर्फबारी से ठंड बढ़ गई है। ये इस साल की अंतिम बर्फबारी है। बर्फबारी से पर्यटकों के चेहरे खिल उठे है।

सेब की खेती और जल श्रोतों के लिए वरदान साबित हो रही है बर्फबारी

इस बार प्रदेश में बरसात के समय काफी अच्छी बारिश हुई थी जिससे कई प्राकृतिक जल श्रोत फिर से रिचार्ज हो गए। अब ताजा हुई बर्फबारी से उच्च हिमालय में ग्लेशियर और बुग्यालों में वाटर स्टोर हो जाएगा और गर्मियों के समय पानी की समस्या कम होगी। पहाड़ो में बर्फबारी ज्यादा होने से मैदानी इलाकों में भी इसका फायदा मिलता है। 2016 और 2018 में जंगलों में आग की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई थी जिसके बाद कई प्राकृतिक जल स्रोत सूख गए थे। इस वर्ष हुई हुई अच्छी बारिश और बर्फबारी के बाद प्राकृतिक जल स्रोत भी रिचार्ज हुए है। वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल कहते है कि अगर ऐसी तरह बर्फबारी अगले 5 सालों तक होती रही तो ग्लेशियर की सेहत में सुधार हो सकता है।
कई गाँवों में भी बिछी बर्फ की चादर

उच्च हिमालय में स्थित गांव भी बर्फ की सफेद चादर से ढक गए हैं पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी, धारचूला बागेश्वर जिले के कपकोट चमोली जिले के घाट, देवाल, जोशीमठ सहित कई ब्लॉक के गांवों का भी बर्फबारी के कारण देश और दुनिया से संपर्क कट गया है चमोली के इरानी गांव के विजय बताते हैं की पूरा गांव बर्फ की चादर में ढक गया है और काफी सुंदर भी लग रहा है लेकिन सड़क ना होने के कारण सैलानी उनके गांव की खूबसूरती देखने नहीं पहुंच पाते इसके अलावा केदारघाटी के भी दर्जनों गांव में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई है।
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