धुँआ मुक्त हुआ हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश अब पूरी तरह धुँआ मुक्त प्रदेश बन चुका है। मतलब अब किसी भी घर में धुएं से माताओं को खाना बनाते समय आंखों में चुभन, जलन और सांस लेने में दिक्कत नही आएंगी। इसका ये मललब नही है कि हर घर में गैस सिलेंडर से खाना बन रहा है बल्कि अत्यधिक ठंडे प्रदेश में 12 महीने लकड़ियों में ही खाना बनाया जा रहा है। दरअसल हिमाचल सरकार ने हर घर में धुँआ मुक्त करने के लिए तंदूर दी है। ये तंदूर एक अंगीठी की तरह है जिसमें आप आग भी सेक सकते है और खाना भी बना सकते है। इससे आपके घर के भीतर जहाँ रसोई है धुँआ भी नही होता। तंदूर पर एक चिमनी लगी है जिसका धुँआ बाहर चला जाता है। इस तरह से पहले पहाड़ो में घर भी बनाये जाते रहे। अंग्रेजों के बनाये बंगलो में और पहाड़ के पुराने घरों में इस तरह की तकनीक आप देख सकते है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हाल ही में इसकी घोषणा की। उन्होंने विधानसभा में इसकी घोषणा की और कहा कि पूरा प्रदेश धुँआ मुक्त है और हर परिवार इस तंदूर से खाना भी पका सकता है। हाल ही में मैं हिमाचल यात्रा पर गया था। वहाँ मैने भी मंडी जिले के सिराज क्षेत्र के हर घर में ऐसे देखा। सर्दियों के समय बर्फीले इलाको में जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है तब इस तंदूर के पास पूरा परिवार बैठ कर न सिर्फ आग सेकते है बल्कि खाना भी बनाते है। हिमाचल के कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, किन्नौर, शिमला, चंबा और कुछ लाहौल स्पीति के इलाकों में यही तंदूर उन्हें सर्दियों में गर्म रखता है और कई बीमारियों से भी बचाता है।

उत्तराखंड प्रदेश के उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, नैनिताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर और पिथौरागढ़ सहित देहरादून के चकराता में भी पूरे साल लकड़ियों में खाना बनाते है। गैस के दाम बढ़ने से ग्रामीण परिवारों के सामने लकड़ियों को जलाकर खाना बनाना ही एक मात्र सहारा है। हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी हर परिवार को एक तंदूर दिया जाया जाना चाहिए जिससे बिना धुँआ के खाना बन सके। इससे आम लोगों की मुश्किलें भी कम होंगी। ये तंदूर इतना महंगा भी नही केवल ढाई हजार से 3 हजार के बीच है। प्रदेश सरकार को प्रचंड बहुमत के बाद पहाड़वासियों को ये सौगात देनी चाहिए।
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