
झींझी गाँव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। ये गाँव अपने मक्के के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। दिल्ली से आप सीधे बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में चमोली से आगे बिरही तक आएंगे। बिरही में अलकनंदा और बिरही गंगा का संगम होता है और यही से निजमुला घाटी की यात्रा शुरू होती है। बिरही से करीब 35 किमी की दूरी पर झींझी गाँव बसा हुआ है।
मक्का और काली राजमा के लिए है प्रसिद्ध

निजमुला घाटी में बिरही गंगा बहती है। इस घाटी में 10 गॉंव है। गाड़ी, सैंजी, ब्यारा, निजमुला, गौणा, धार कुमाला, दुर्मि, पगना, झींझी, ईरानी, पाणा गाँव स्थित है। इस घाटी का सबसे अंतिम गाँव ईरानी है। झींझी गाँव ईरानी ग्राम सभा में आता है। झींझी गॉंव में 28 परिवार है रहते है। गाँव में मक्का काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा राजमा, चौलाई, आलू, काली राजमा होती है। यह गॉंव जंगलो से घिरा है जो बद्रीनाथ वन प्रभाग के चमोली रेंज में बसा है।
लार्ड कर्जन ट्रैक के बीच में बसा है झींझी गाँव

झींझी गाँव अंग्रेजों के जमाने से प्रसिद्ध है जब लार्ड कर्जन के लिए ग्वालदम से तपोवन तक पैदल ट्रैक बनाया गया। ग्वालदम से देवाल-लोहाजंग-वाण-कनोल-सुतोल-पेरी-गेरी-सितेल-जोखना-आला -बुरा-घुनी-रामणी-झींझी-पाणा(ईरानी)-सारतोली-ढकवानी-क्वारी पास-तपोवन(औली) ये पूरा लगभग 200 किमी की पैदल यात्रा है। लार्ड कर्जन के बाद इस ट्रैक पर विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में आने लगे लेकिन धीरे धीरे मार्ग की देखभाल ना होने के कारण और राज्य सरकार की लापरवाही को देखते हुए इस ट्रैक पर सैलानियों के चलना ना के बराबर है। जबकि इस ट्रैक में अद्भुत खूबसूरती दिखाई देती है।
झींझी गाँव से शुरू होता है सप्तकुण्ड ट्रैक

झींझी गॉंव समुद्र तल से करीब1900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। झींझी गॉंव दो विश्व प्रसिद्ध ट्रैक रूट के लिए जाना जाता है।इस गाँव से सप्त कुंड ट्रैक शुरू होता है जबकि लार्ड कर्जन ट्रैक इस गाँव से होकर गुजरता है। झींझी गाँव से सप्तकुण्ड की दूरी करीब 25 किमी है जहाँ पर सात पवित्र कुंड है। गॉंव में अब तेजी से होम स्टे खुल गए है। सर्दियों के समय यहाँ पर अच्छी बर्फबारी होती है।
Contact Person:
हिंवाली होम स्टे(पान सिंह नेगी)-8650611235
मोहन सिंह नेगी(झींझी)-6396940050




Nice
Thank you Piyush ji
नमस्ते प्रिय संदीप जी – आपका देवर गाँव का video देखा। बहुत अच्छा लगा। ना केवल देवर गाँव बल्कि rural क्षेत्र को promote करने का idea बहुत ज़्यादा अच्छा लगा। हमारे यहाँ unexplored अपार संपती है जिसका उपयोग हम नहीं कर पा रहे। आज की generation जो बड़े बड़े शहरों में काम करती है , उन्हें भीड़ वाले Hill Stations पसंद नहीं हैं। वह सब इसी तरह की शांति प्रिय जगहों पे जाना चाहते हैं। बस केवल रहने कि थोड़ी अछी सुविधाएँ यदि मिल जाएँ तो वो ऐसी शांत एंव सुंदर जगहों का भ्रमण करना चाहेंगे।
यदि ये सब होता है तो सोचिए गाँव के लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। ध्यान रहे यहाँ देश के उद्योगपतियों का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। टुरिज़म से गाँव का जीवन सुंदर तो हो परंतु इसका commercialisation नहीं होना चाहिए। मेरा मानना है लोगों का जीवन ख़ुशहाल होना चाहिए, पैसा दूसरे नम्बर पर हो। मुझे पौड़ी गढ़वाल के किसी छोटे गाँव में थोड़े समय के लिए रहने का मौक़ा मिला था। मैंने पाया उन्हें किसी की guidance चाहिए, तभी वो कुछ आगे सोच सकते हैं। इसलिए मेरा मानना है की आप जैसे लोग यदि उनके साथ हो जाएँ तो आप के साथ साथ उनका भी कल्याण हो जाएगा।
बस जो मेरे मन में आया मैंने लिख दिया ।
ओम् कपूर
गुरुग्राम
Ji Om Kapur ji ! thank you
I keep watching your channel Sandip Ji, You show case the Real life of hills. I’m from Goda Gao in Patti kandarshui Pauri Garhwal,Born in Gadwal brought up in Mumbai.I have lots of love affaction, Attachment for Garhwal even though I stay in Mumbai.Thanks to you for showing such worderful videos, different villages, history. You are doing a great job. It’s make me happy enjoy my old Memories the time which I spend during My childhood. Thanx a lot Bhagwaan apo lambi Umer de
Sada Khush rakhe..Jai Badri bishal.. Jai kedar.
Thank you so much Shivcharan ji !
Sandeep Bhai,
There is a small factual error in the last paragraph of your beautiful write-up. ” झींझी गांव समुद्र तल से 1900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होना चाहिए.आप गलती से 1900 किमी टाइप कर गए .
Your description of the place is very lucid and soulful.
thank you so much himanshu ji