रामणी गांव उत्तराखंड के चमोली जिले के घाट विकासखंड में स्थित है।जैसे कि नाम से ही एक सुंदर गाँव की कल्पना मन में आ जाती है।घाट से 31 किमी की दूरी पर बसा रामणी गाँव हिमालय की तलहटी में स्थित है।

चमोली जिला मुख्यालय से 92 किमी की दूरी पर स्थित रामणी गांव का इतिहास भी काफी रोचक है।अंग्रेजी हुकूमत में गढ़वाल और कुमाँऊ के कमिश्नर रहे हैनरी रैमजे 1856 से 1884 तक कई बार रामणी गाँव आए।यहाँ की हिमालय पर्वतमालाओं के दृश्य और गाँव की सुंदरता को देख वो अभिभूत हो गया।पहले रैमजे के नाम से इस गाँव का नाम रैमजे पड़ा जो बाद में रामणी हो गया।स्थानीय लोग कहते है कि रामणी काफी रमणीक है और इसी से इसका नाम रामणी पड़ा।
रामणी गाँव के लोगो ने अपना जंगल भी बचा कर रखा हुआ है।सड़क और संचार सेवाओ से रामणी काफी पहले जुड़ चुका था।आलू और चौलाई यहाँ की प्रमुख फसल है।इसके अलावा अब गाँव के राजमा, मंडुआ और धान का भी उत्पादन करते है।

रामणी गाँव में आज भी पत्थर और लकड़ी के बने मकान आपको दिख जायेंगे।इस गाँव से लार्ड कर्जन ट्रेक होकर गुजरता है।लार्ड कर्जन ने 1899 में अपनी यात्रा से पहले ग्वालदम से तपोवन तक करीब 200 किमी का पैदल ट्रेक बनवाया था।उसके बाद इस ट्रैक पर हर साल विदेशी ट्रेकर्स के आने का सिलसिला शुरू हो गया।
रामणी गाँव से बालपाटा बुग्याल और सप्तकुण्ड ट्रेक जाता है।रामणी गाँव से आप निजमुला घाटी भी जा सकते है।इस गॉंव में सर्दियों के समय बर्फ गिरती है।यहाँ से बेदनी बुग्याल दिखाई देता है।
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