कोसी नदी अल्मोड़ा जिले की लाइफलाइन मानी जाती है जो अल्मोड़ा बागेश्वर जिले की सीमा पर स्थित गाँव काटली से निकलती है।काटली गाँव अल्मोड़ा जिले का अंतिम गाँव है जिसकी सीमा बागेश्वर से लगती है।इस गांव में करीब 450 परिवार रहते है।अल्मोड़ा से काटली गाँव 55 किमी की दूरी पर स्थित है जबकि कौसानी से 9 किमी की दूरी पर ये गाँव बसा हुआ है।काटली से रुद्राधारी झरना करीब 1.5 किमी की दूरी पर स्थित है।

कोसी नदी जब कौसानी के जंगलो से निकलती है तो सोमेश्वर घाटी होते हुए अल्मोड़ा शहर की तलहटी से होते हुए रामनगर पहुँचती है।कोसी नदी के किनारे सैकड़ो गाँव में धान की खेती होती है।

फसलों में धान, मंडुआ,गेंहू, जौ,भट्ट,मास तिल और आलू का उत्पादन होता है।ग्रामीण बड़ी मात्रा में पारंपरिक अनाजो का उत्पादन करते है।काटली गाँव से करीब 7 किमी की दूरी पर स्थित कुश घास की जड़ से कोसी की धारा निकलती है और दूसरी धारा रुद्राधारी फॉल से आती है।जिस स्थान से कोसी का उद्गम है वहाँ पर कौशिक मुनि ने तपस्या भी की थी।
कोसी नदी का उद्गम

कोसी नदी अल्मोड़ा जिले के साथ ही नैनिताल जिले के एक बड़े भूभाग की भी लाइफलाइन है।इस नदी का उद्गम अल्मोड़ा जिले के बारामंडल परगने की बोरारौ पट्टी के अंतर्गत भटकोट पिननाथ शिखर है।अल्मोड़ा-नैनिताल से होते हुए यह नही उत्तर प्रदेश में रामगंगा नदी में मिल जाती है।यह नदी एक बड़े भूभाग में सिंचाई उपलब्ध कराती है।
पुराणों में भी है कोसी नदी का जिक्र

लोक मान्यताओं में कोसी को शापित नदी माना जाता है. कहा जाता है कि कोसी समेत रामगंगा, सरयू, भागीरथी, काली, गोरी, यमुना नदियां कुल सात बहिनें थी. सभी बहनों में कोसी कुछ गुसैल मिजाज की थी. एक बार सातों बहनों में एक साथ चलने की बात हुई. बाकीं बहिनें जब समय पर नहीं पहुंची तब कोसी गुस्से में अकेली चल दी. बाकि बहिनों ने जब कोसी को न देखा तो उसे श्राप दिया कि तू हमसे अलग-थलग बहेगी और तुझे कभी पवित्र नदी नहीं माना जायेगा.
Waaah aisi khubsurti sirf uttarakhan m he mil skti hai. Apka bhut bhut dhanyawad 🙏🙏🙏
हाँ जी रावत जी ! धन्यवाद