04 October, 2023

खतरे में उत्तराखंड का दूध का कटोरा – दूधातोली

uttarakhand ka pamir dudhatoli

हिमालय सदियों से देश ही नही बल्कि एशिया की जलवायु को  नियंत्रित करता है। दुनिया में नार्थ और साऊथ पोल के बाद हिमालय में ही सबसे ज्यादा बर्फ है। हिमालय को एशिया का वाटर हाऊस भी कहा जाता है। हिमाच्छादित पर्वत चोटियों के ग्लेशियरों से उत्तराखंड में भागीरथी, अलकनंदा, मन्दाकिनी, पिंडर, काली जैसै बडी नदियां निकलती है। जबकि मध्य हिमालय में ऐसी पर्वत श्रृंखलाएं भी मौजूद है जहां से सदानीरा नदियों का उदगम होता है।  उत्तराखंड के मध्य में स्थित दूधातोली पर्वत श्रृंखला ऐसा ही विशालकाय वन क्षेत्र है जो गढवाल की जलवायु को नियंत्रित करता है और यह उच्च हिमालय के बाद मध्य हिमालय का एक  बर्फानी भाग भी है। उत्तराखंड के पौड़ी गढवाल, चमोली और अल्मोडा जनपदों की सीमाओं के मध्य में स्थित दूधातोली को उत्तराखंड का पामीर कहते है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

आईए जानते है इस विस्तृत पर्वत श्रृंखला के बारे में इस स्पेशल रिपोर्ट में

uttarakhand ka pamir dudhatoli

5 प्रमुख नदियों का उद्गम है दूधातोली पर्वत

दूधातोली उत्तराखंड के मध्य में स्थित एक विशालकाय पर्वत श्रृंखला है जहां से पांच प्रमुख नदियां और दर्जनों गाड गदेरे निकलते है। यह पर्वत श्रृंखला चमोली गढवाल के ग्वाल्दम से शुरु होकर पौड़ी के पास बुबाखाल पर आकर खत्म होती है। इसका सबसे ज्यादा भाग गढवाल वन प्रभाग में स्थित है जबकि कुछ भाग केदारनाथ वन प्रभाग में पडता है। तीन जिलों की सीमाओं पर स्थित दूधातोली पर्वत श्रृंखला में 6 महीने बर्फ जमी रहती है। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण दूधातोली की तलहटी में बसा है। उत्तराखंड के मध्य में स्थित है इस पर्वत श्रृंखला से गंगोत्री, केदारनाथ, चौखंभा, त्रिशूल, कामेट, नंदादेवी, सहित गढवाल और कुमाऊं की सभी प्रमुख चोटियां दिखाई देती है। दूधातोली अपने आप में जलवायु नियंत्रक है जो 5 नदियों का कैचमेंट क्षेत्र है। दूधातोली से पूर्वी नयार, पश्चिमी नयार, आटागाड, रामगंगा और विनो नदियां  निकलती है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

इसके अलावा इसमें खेतीगाड, किर्सालगाड, स्यूलीगाड सहित दर्जनों नदियों निकलती है। पदमश्री कल्याण सिंह रावत कहते है कि दूधातोली 150 किमी की लम्बाई में फैली पर्वत श्रृंखला है। इस पूरे इलाके में बांज बुरांश और रागा के जंगल है जिससे यहां गढवाल का वाटर टावर भी कहलाता ह।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

जैवविविथा का भंडार है दूधातोली पर्वत श्रृंखला

दूधातोली पर्वत अनेकों जड़ी बूटियों, पक्षियों, जंगली जानवरों और अपने विशालकाय जंगलों के लिए जाना जाता है। स्थानीय लोग कहते है कि आप अगर बिना किसी गाईड के इस जंगल में गए तो फिर जंगल में भटक जाएंगे। सालों से पौड़ी, अल्मोडा और चमोली गढवाल के ग्रामीण इस इलाके में अपने पशुओं को चराने कि लिए आते है। यहां गर्मियों में भी सर्दियों का एहसास होता है और यहां की जलवायु सम शितोष्ण रहती है।नवम्बर दिसम्बर में यहां बर्फ पडती है और मार्च अप्रैल तक बर्फ जमी रहती है। 35 हजार हेक्टियर में फैला यह विशालकाय जंगल अपने ईकोसिस्टम के लिए जाना जाता है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

यहां पर पानी के सैकडों छोटे छोटे ्स्रोत है जो आगे जाकर नदियों का रुप ले लेते है। सबसे ज्यादा यहां बांज और उसकी प्रजातियों के जंगल है जिसमें मोरू, खर्सू, तिलांज, फलांठ  प्रमुख है इसके अलावा बुरांश और काफल के पेड भी यहां मौजूद है जबकि उच्च इलाकों में देवदार, रागा जबकि सैकडों जडी बूटियां भी यहां पाई जाती है जिसमें चोरु, ब्रजदंती, थुनेर, पत्थरचूर, फर्न, दालचीनी, थौलू, आंवला शामिल है। जंगली जानवरों का यह बडा हैबीटाट है जिसमें गुलदार, भालू, हिरन, खरगोश, काखड़, शेही, घुरड़ शामिल है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

यहां के छोटे बुग्यालों में ग्रामीण करते है चारागाह

बुग्याल जिसे हम अंग्रेजी में ग्रासलैंड या मिडो भी कहते है। जंगलों के ऊपर चोटियों में जहां ट्री लाईन खत्म हो जाती है वहां से बुग्याल शुरु होते है। उत्तराखंड में बुग्याल करीब 3000 मीटर से शुरु होते है और करीब 4400 मीटर तक फैले होते है। दूधातोली पर्वत श्रृंखला में करीब 100 से अधिक छोटे छोटे चारागाह है और इसमें मार्च से अक्टूबर तक आस पास के करीब 500 परिवार अपने पशुओं को लेकर आते है। 1800 मीटर से लेकर 3000 मीटर तक फैले इस जंगल में कई खरक है जहां पशुचारक आते है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

लम्बे समय से दूधातोली जैवविविधता को बचाने के लिए प्रयास कर रहे है पर्यायवरण विशेषज्ञ हेम गैरोला बताते है कि दूधातोली पर कई गंभीर खतरे मंडरा रहे है। पहले तो चारागाह में बडी अच्छी घास हो जाती थी लेकिन पिछले कई सालों से स्थानीय खरकवासियों, गुज्जर और भोटियां लोगों की हजारों भेड़ों के चरने ने इन खरक ने घास कम होती जा रही है। जब चारागाह में घास कर हुई तो खरकवासियों ने बांज, मोरू और खर्सू पेडों की लोपिंग भी कर दी जिससे इस जंगल के ऊपर चौडी पत्तियों की जो छतरी थी वो लगातार कम होती जा रही है जो भविष्य के लिए बडा खतरा है। उन्होने कहा कि उन्होंने खरकवासियों को संगठित कर पशुचारक संघ बनाने की कोशिश की लेकिन वो सफल नही हो पाई।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

मार्च महीने में भेड बकरी लेकर पालसी इन इलाकों से होकर गुजरते है जो नई घास और छोटे पेडों को खा जाते है। एक पालसी करीब हजार से अधिक भेडों के साथ इन छोटे छोटे खरक में पांच से 10 दिन तक रहते है। भेड बकरियां सबसे ज्यादा इन खरक को नुकसान पहुचाती है। पहले हिमांचल से भी बडी संख्या में दूथातोली के जंगलों में भेड बकरियां आती थी।

परम्परागत डेयर उद्योग का केन्द्र है दूधातोली

सदियों से दूधातोली वन क्षेत्र में पौडी, अल्मोडा और चमोली गढवाल के करीब सैकडों गांव के ग्रामीण अपने पशुओं को लेकर गर्मियों की शुरुआत में ही यहां पहुच जाते थे। अंग्रेजी हूकूमत ने जब 1911 से 1917 के बीच फोरेस्ट को रिजर्व किया तो ग्रामीणों को चुगान का अधिकारर दे दिया। उस समय वनों में प्रबंधन का अधिकार डिप्टी कमिश्नर के पास हुआ करता था जो आजादी के बाद 1960 तक रहा। 1960 के बाद  वनों के प्रबंधन का अधिकार वापस वन विभाग के पास चला गया। दूधातोली में पुराने सयम में पशुचारक कनस्तरों में घी का उत्पादन करते थे।फरकंडे गांव निवासी हीरा फनियाल बताते है कि वे अपने पिताजी के साथ दूधातोली के कांचुला खरक में जाते थे। उस सयम बडी संख्या में पशुचारक यहां घी का कारोबार करते थे और यहां दूध का बडा उद्योग होता था। स्थानीय लोगों का यह आजीविका का सबसे प्रमुख साधन था। जो अभी भी जारी है लेकिन अब पशुचारक भी कम हो गए है। इस पूरे इलाके में छोटे छोटे करीब 100 से अधिक खरक है। चांदपुर, चौथान, ढाईज्यूली, चोपडाकोट, लोहबा, श्रीगुर पट्टियों के गांव वालों को दूधातोली में पशुओं को चराने के लिए थान दी गई। यहां फैले चारागाह में भैस और गायों के साथ ग्रामीण बडी मात्रा में दूध का उत्पादन करते है। इसलिए इस इलाके को दूध का तौला यानी दूधातोली कहा जाता है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

हेम गैरोला कहते है ग्लेशियर नदियों को हम बचा सकते है या नही यह तो नही कहा जा सकता लेकिन नान ग्लेशियर नदियों को बचाया जा सकता है। दूधातोली पर्वत श्रृंखला में दूधातोली ब्लाक-4 सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील है। इस इलाके में ही 61 गांवों को अधिकार दिए गये है और 52 खरक है।

जल संऱक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है दूधातोली

दूधातोली गढवाल का वाटर हाऊत तो है ही कुमाऊ के नैनीताल, अल्मोडा जिले के बडे हिस्से को यहां से निकलते वाली नदियां सींचित करती है। पौड़ी गढवाल की पूर्वी और पश्चिमी नयार लगभग आधे से ज्यादा भूभाग को सींचित और पेयजल मुहैया कराती हुई व्यासघाट में गंगा नदी में मिल जाती है। दूधातोली में लम्बे समय से पाणी राखो आंदोलन चला रहे है 

uttarakhand ka pamir dudhatoli

पर्यावरणविद सच्चिनादंद भारती ने कहा कि दूधातोली क्षेत्र में जो जंगल है उनका रिजनरेशन नही हो रहा है साथ ही पेडों का घनत्व भी कम होता जा रहा है। उन्होने करीब 30 हजार जल तलैय्या बनाकर उनके आस पास बांज, बुरांश के पेडों को लगाया जिससे कई छोटे छोटे प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी फिर से रिजार्ज हो गया है। सच्चिदानंद भारती ने कहा कि प्रकृति खुद ही अपने को रिजनरेट करती है लेकिन हमें भी प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होने कहा कि उत्तराखंड में ग्लेशियर नदियों पर केवल यहां बडे बडे बांध बनाए गये है लेकिन यहां कि सिचाईं और पेयजल आपूर्ति छोटे छोटे नदियों और गाड गदेरों से होता है और दूधातोली कई नदियों की मां है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

फारेस्ट टूरिज्म का बडा केन्द्र बन सकता है दूधातोली पर्वत श्रृंखला

गढवाल और कुमाऊं में मध्य में स्थित दूधातोली पर्वत श्रृंखला का कुछ वन क्षेत्र केदारनाथ वन प्रभाग के अधीन है जिसकी धनपुर और गैैरसैंण रेंज इसमें शामिल है जबकि गढवाल वन प्रभाग की थलीसैंण और पैठाणी रेज शामिल है। उत्तराखंड में नान ग्लेशियर नदियों का यह एक बडा जलसंग्रहण क्षेत्र है। पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढवाली बचपन में इन्ही जगलों में घूमा करते थे।यहां की नैसर्गिक सौन्दर्य को देखते हुए उन्होने देश की आजादी के बाद गैरसैँण को देश की ग्रीष्म राजधानी बनाने का अनुरोध जवाहरलाल नेहरु से भी किया था। वीर चन्द्र सिंह गढवाली मानते थे कि यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि  नई ऊचाईयों को छू सकता है। दूधाताली पर्वत श्रृंखला पौडी जिला मुख्यालय से करीब 90 किमी की दूरी पर स्थित है।

पत्रकार और लेखक जय प्रकाश पंवार ने कहा कि दूधातोली पर्वत श्रृंखला के तलहटी में स्थित गावों में होम स्टे शुरु कर देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। यह पूरा क्षेत्र घने जंगलों से घिरा है जहां लम्बे समय तक बर्फ टिकी रहती है। यहां ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं मौजूद है। वन विभाग और राज्य सरकार की मदद से इस पूरे क्षेत्र में ग्रामीण पर्यटन बढाया जा सकता है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

दूधातोली के कोद्याबगड खरक में ही वीर चन्द्र सिंह गढवाली और बाबा मोहन उत्तराखंडी की समाधि स्थल है जहां हर साल 12 जून को स्थानीय ग्रामीण वीर चन्द्र सिंह की याद में मेले का आयोजन करते है।

उत्तराखंड में दूधातोली की तरह कई और पर्वत श्रृंखलाएं मौजूद

दूधातोली की तरह उत्तराखंड में कई और विशालकाय जंगल है जहां से कई सदानीरा नदियों की उत्पत्ति होती है। वैसे तो दूधातोली में वन संपदा तो है ही यहां जमीन के अन्दर कई खनिज पदार्थो की भी खान है। गैरसैंण के भराड़ीसैण से कुछ दूरी पर चिकनी मिट्टी पाई जाती है जिसमें माईका होता है। राजा कनकपाल ने 8वीं सदी में इस मिट्टी को सांचे में ढालकर चांदपुरगढी का निर्माण किया था। यहां पत्थरों और तांबे की भी खान है। दूधातोली उत्तराखंड के गढवाल क्षेत्र के लिए वरदान है तो कुमाऊ में पिनाक चोटी भी करीब 11 नदियों का उदगम स्थल है।यहां से पिनाक, कोसी, गगास, गोमती, गणेशगंगा, गरुगगंगा, कौशल्या गंगा, रुद्रगंगा, कल्याणीगाड ,टोटापागर,जनतारी गाड, छतरिया और देवगाड नदियां निकलती है। इसके अलावा चमोली जिले की भेकलनाक रेंज, नागटिब्बा रेंज, नैनीताल के गौला रेंज सहित दर्जनों पर्वत श्रृंखलाएं है जहां से सैकडो छोटी छोटी नदियों का उदगम होता है। उत्तराखंड में गैर हिमानी नदियों बहुत है जिसमें सरयू, पश्चिमी रामगंगा, कोसी, कौला, पनार, लधिया, अलगाड, बिनसरगाड, कलसा, सौंग, आसन, रिस्पना, सोना, नन्धौर, कमल नदी, केदारगंगा, क्षिप्रा, झिरना, मालिनी, खोह जैसे बहुत सी नदियां है जो मध्य हिमालय से निकलती है।

uttarakhand ka pamir dudhatoli

पद्श्री शेखर पाठक कहते है कि जंगलों की बचाने के लिए भले ही वन विभाग हर साल करोडों रु खर्च कर दे लेकिन बिना व्यापक भागीदारी के हम संवेदनशील वन क्षेत्र को नही बचा सकते है।

Sandeep Gusain

नमस्ते साथियों।

मैं संदीप गुसाईं एक पत्रकार और content creator हूँ।
और पिछले 15 सालों से विभिन्न इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनल से जुडे हूँ । पहाड से जुडी संवेदनशील खबरों लोकसंस्कृति, परम्पराएं, रीति रिवाज को बारीकी से कवर किया है। आपदा से जुडी खबरों के साथ ही पहाड में पर्यटन,धार्मिक पर्यटन, कृषि,बागवानी से जुडे विषयों पर लिखते रहता हूँ । यूट्यूब चैनल RURAL TALES और इस blog के माध्यम से गांवों की डाक्यूमेंट्री तैयार कर नए आयाम देने की कोशिश में जुटा हूँ ।

20 responses to “खतरे में उत्तराखंड का दूध का कटोरा – दूधातोली”

  1. Manoj Khakriyal says:

    Sir ek detailed documentary banaiye dudhatoli ke uper

  2. Babita says:

    Very very good story and nice place…

  3. Praveen Malkoti says:

    That’s really informative article about Dudhatoli range… Please keep showing and spreading awareness on our Uttrakhand… God bless

  4. Praveen Malkoti says:

    That’s really informative article about Dudhatoli range… Please keep showing and spreading awareness on our Uttrakhand… God bless

  5. D S Gosain says:

    गोरू चराते हुए जंगल के पेड़ों की छालों में
    ढूँढते रहते कुक्करमुत्ते जिसे कहते च्यूँ यहाँ
    बरसातों में ढूँढते सिंगन पेड़ों की जड़ों में
    स्यारों में नयार से पानी डाल धान रोपते
    कभी कभी माँ ले आती गड्याल मच्छियाँ
    च्यूँ सिंगन मच्छी तो अद्भुत पकवान होती
    माच्छ भात च्यूँ सालन से खूब दावत होती

    नमस्कार सन्दीप जी। कुछ ऐसी ही यादें बचपन की इन पहाड़ों की मैं अपनी नई कविता की पंक्तियों से व्यक्त कर रहा हूँ। अवस्य आप एक video इन पर्वतमालाओं की निकालें।
    धन्यवाद

    • Sandeep Gusain says:

      नमस्कार gosain ji . जरूर बनाएंगे वीडियो इन पर्वत श्रंख्लाओं की

  6. अनूप ममगाईं says:

    दूधातोली के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण ज्ञानप्रद, रोचक एवम विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए बहुत बहुत साधुबाद गुसाईं जी।

  7. nitin negi says:

    Bahut badhia Gusain ji..ho sake to google map vastavik sthiti darshaie aur yahan k pramukh gaon evam nagaron k vishay me bhi bataie.

  8. Sanjay says:

    सरजी 2022 मे मै उत्तरांखंडकी यात्रा की कोशीश करूंगा.
    मुझे स्थानिक लोगोंके लिये काम करना है.
    (Hansicrafts)आपका email जानना चाहता हूँ.
    धन्यवाद

  9. Uttrakhandsimplyheaven says:

    Sir bhut bhut sukriya apki wagah se bhut adbhut jankari prapt hoti hai 🙏

  10. avinash says:

    Dear Sandeep. you are doing a fantastic job. best wiahes to you. i eagerly wait for rural tales videos and keep twlling everyone that this guy is the best youtuber from garhwal.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *