
देवमाली गाँव जो आज भी सीमेंट से है कोसों दूर
भारत गांवो में बसता है। अलग अलग राज्यों में कई अनोखे गाँव है जो अपनी परंपरा, संस्कृति और अनोखे रीति रिवाज के लिए जाने जाते है। राजस्थान के अजमेर जिले में एक ऐसा गाँव है जहाँ आज भी पक्के मकान नही बनाये जाते है क्या है इसके पीछे राज जानिए इस कहानी में…
देवमाली गाँव अजमेर जिले के मसूदा तहसील में स्थित है। गांव अजमेर शहर से करीब 55 किमी की दूरी पर देवनारायण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। गांव में 300 परिवार है और सभी एक ही जाति के लोग है। नादा बाबा सबसे पहले 700 साल पहले इस गाँव में आकर बसे। इस गाँव की चोटी पर देव नारायण मंदिर बसा हुआ है जिसके आस पास विशाल शिलाएं मौजूद है।
देवनारायण है पूरे गॉंव के ईष्ट देव

देवनारायण का जन्म भीलवाड़ा जिले के मलाशेरी स्थान पर हुआ। स्थानीय लोग बताते है कि देवनारायण विष्णु भगवान के अवतार है। देवनारायण जिस पहाड़ की चोटी पर बसे हुए है उस स्थान पर पत्थर मंदिर की तरफ चुके हुए है। माघ के महीने में इस गाँव में विशाल मेले का आयोजन होता है और इस मेले में दूर दूर से भक्त आते है। गाँव के पूर्व सरपंच माधोराम बताते है कि देवनारायण भगवान ने उनके पूर्वज को कच्चे मकान बनाने का वरदान दिया था। उन्होंने कहा कि अगर खुशहाली चाहिए तो फिर पक्के मकान मत बनाना। कच्चे मकान को हर 3 महीने में गोबर और पीली मिट्टी से लिपाई की जाती है। पूर्व सरपंच बताते है कि गाँव में 4 हजार बीघा जमीन है जिसमे खेती भी शामिल है और सभी देवनारायण भगवान के नाम है।
देवनारायण के नाम पर गाँव का नाम देवमाली

इस गाँव में 700 साल पहले नादा जी लावडा जी इस गाँव में आये और इन्हें देवनारायण जी को साक्षत दर्शन देकर मंदिर में पूजा अर्चना की जिमेदारी दी।
नादा जी के 12 लड़के हुए इसके बाद गॉंव बसता चला गया। गाँव में सभी गुर्जर परिवार है जो खेती के साथ दूध का कारोबार करते है। रामकरण गुर्जर कहते है कि 700 पहले नादा जी इस गॉंव में आये थे।
गाँव में पक्के मकान क्यों नही बनाये गए?
देवनारायण ने जब नादा बाबा से पूछा कि तुम पक्के मकान में रहना चाहते हो या फिर कच्चे तो नादा बाबा ने कहा कि पक्के मकान में आप रहो मैं कच्चे मकान में ही रहूँगा। पीली मिट्टी और गोबर से मकान आज भी इस गाँव में बने हुए है। मिट्टी के कैलू से छत और दीवार मिट्टी और पत्थर से बनाये गए है। गांव में एक भी मकान सीमेंट का नही बनाया गया है। इसके अलावा शराब और मांस भी यहाँ प्रतिबंध है। गाँव में मिट्टी के तेल का भी प्रयोग नही किया जाता है।

सीमेंट के मकान बनाने पर हुआ चमत्कार
सीमेंट के मकान बनाने पर भगवान देवनारायण रुष्ट हो जाते है। सरपंच माधो राम जी ने बताया कि गॉंव में पहले दो तीन लोगों ने बनाने की कोशिश की भी लेकिन देवनारायण ने चमत्कार दिखा दिए और उनके परिवार पर रुष्ट हो गए। जब भारत सरकार ने हर घर शौचालय बनाने की योजना लांच की तो भी इस गांव में सीमेंट के शौचालय नही बनाये गए।
गाँव में क्या क्या है प्रतिबंध
इस गॉंव में कई चीजें प्रतिबंध है। गाँव में शराब, मांस, पक्के मकान और किरोसीन का तेल जलाना प्रतिबंध है। इस गाँव में नीम के पेड़ की लकड़ी नही जलाई जाती है। भले ही गॉंव के लोग दुनिया में कही भी चले जाएं तो भी मांस, और शराब का सेवन नही करते है। इस गाँव में इन खूबियों के कारण कभी लड़ाई नही होती। पूरे गॉंव में एक ही वंश के लोग रहते है। अगर गाँव की सीमा से बाहर अजमेर, जयपुर या दिल्ली में भी मकान बना ले तो उसे भी देवनारायन को समर्पित कर देते है।
गाँव की जमीन भी भगवान के नाम

गाँव में 1100 बीघा जमीन मंदिर के नाम पर दर्ज है और बाकी 3000 बीघा जमीन भी जो पहले खानदानी थी वो भी अब मंदिर के नाम हो गई। गांव में कपास, मक्का, गेंहू, ज्वार, बाजरा, चना, सरसों, जीरा का उत्पादन होता है। गांव में सड़क, बिजली संचार, पोस्ट आफिस, हॉस्पिटल भी मौजूद गई। पशुपालन गाय, भैस, बकरी पालते है। गुर्जर समाज गाँव खुशी खुशी रहते है।
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