28 September, 2023

ब्रह्मकमल की दुनिया-वासुकी ताल जहाँ होती है वासुकी नाग की पूजा

Land of brahm kamal vasuki tal | केदारनाथ में चढ़ते है यहाँ के पवित्र ब्रम्हकमल

vasuki tal kedarnath marg uttarakhand

यहां उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में यों तो सैकड़ों खूबसूरत ताल हैं। परंतु भौगोलिक कठिनाइयों , दुर्गमता और ज्ञात रास्ते के न होने के कारण इन सभी तक पंहुचना बेहद दुश्कर है।  धार्मिक स्थलों या मानव बस्ती के कुछ पास होने के कारण केदारनाथ से कुछ दूरी पर स्थित वासुकी ताल  और बदरीनाथ- माणा से 25 किमी दूर सतोपंथ ताल तक कठिन भौगौलिक परिस्थितियों के बाद भी पंहुचा जा सकता है ।

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Himalaya parvat

हिमालयी शिखरों की तलहटी में स्थित ये दोनों ताल बेहद खूबसूरत हैं और इनका धार्मिक महत्व भी पौराणिक ग्रंन्थों में कई स्थानों पर वर्णित है।उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित और कठिन भौगौलिक परिस्थितियां के होने के बाबजूद भी इनके रास्तों की खूबसूरती और विविधता ट्रैकरों और श्रद्वालुओं का हौसला बनाऐ रखती है। इन दोनों तालों तक पंहुचने के बाद भी यहां का सौन्दर्य देख कर यात्री या टैªकर अपनी सारी थकान और कश्ट भूल कर इन तालों की सुन्दरता में और हिमालय में हर समय उत्पन्न होने वाली अज्ञात व असाधारण आध्यात्मिक माहौल में डूब जाता है। 

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vasuki tal uttarakhand

केदारनाथ धाम से 8 किमी की चढाई से पहुचा जाता है वासुकी ताल

केदारनाथ धाम (11300 फीट) से लगभग 8 किलोमीटर दूर   वासुकी ताल (13300 फीट) एक बेहद खूबसूरत हिमालयी तालाब या छोटी झील है । केदारनाथ से वासुकी ताल पंहुचने के लिए मंदाकिनी के तट से लगे पुराने घोड़ा वड़ाव से होते हुए दूध गंगा के उद्गम की ओर सीधी चड़ाई चड़नी होती है । नाक की सीध में 4 किमी की चड़ाई चड़ कर खिरयोड़ धार(सबसे ऊंची जगह) नामक स्थान के बाद पहली बार खुला मैदान दिखता है। यहां से 2 किमी हल्की चड़ाई के बाद केदारनाथ – वासुकी ताल टैªक की सबसे ऊंचाई वाली जगह जय-विजय धार (14000 फीट)आती है। 

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इस जय-विजय धार से लगभग 200 मीटर उतरकर  वासुकी ताल के दर्षन होने लगते हैं । आगे की 2 किमी की दूरी पर बड़े- बड़े पत्थरों के बीच पैरों को संतुलित करना बेहद मुष्किल का काम है । जय विजय धार को पार करते ही चारों और ब्रम्हकमल और अन्य जडी बूटियों की खूशबू  आपको मंत्रमुग्ध कर देती है । उत्तराखंड के पहाड़ो में 12000 फीट से लेकर 14000 फीट तक पुराने ग्लेशियरों के साथ आई इस तरह की चट्टाने हर जगह मिलती हैं । लेकिन यह कठिन डगर , आस-पास  हिमालयी घास के ढलानों में बिछे फूलों और ब्रह्म कमलों की प्राकृतिक बगिया के बीच से गुजरते हुए तथा वासुकी ताल के हर पल बदलते रंगो को देखते हुए कट जाती है । 

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जहां नागों के राजा वासुकी करते है हर पल निवास

स्कंद पुराण के अनुसार वासुकी ताल वास्तव में गंगा के अंग कालिका नदी के जलधारण करने से बना तालाब है , जहां नागों के राजा वासुकी हर पल निवास करते हैं । स्कंद पुराण में वर्णित है कि श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन इस ताल में मणि युक्त वासुकि नाग के दर्षन होते हैं । वासुकी ताल की परिधि लगभग 700 मीटर है इस तालाब केे  पानी से सोन नदी निकलती है । यही सोन नदी , केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी से सोनप्रयाग नामक स्थान में मिलती है । वासुकी ताल का पानी बिल्कुल साफ है, हवा के बहाव के साथ पानी में खूबसूरती के साथ बनती  तरंगे बेहद खूबसूरत लगती हैं।  

लैंड आफ ब्रम्हकमल-वासुकी ताल

vasuki tal kedarnath marg uttarakhand

अच्छे ट्रैकर केदारनाथ से बिल्कुल सुबह चल कर वासुकी ताल घूमकर षाम तक वापस केदारनाथ (कुल 16 किमी की दूरी) आ सकते हैं । यह पूरा ट्रैक कठिन होने के साथ मानव विहीन भी है । रास्ते में कोई बस्ती या कोई मकान- दुकान नहीं है इसलिए अपने साथ ही खाने की सामग्री, पानी आदि ले जाना होता है । यदि गाइड साथ हों और इस ट्रैक के लिए केदारनाथ से सुबह 3 बजे निकला जाय तो सारे रास्ते से केदारनाथ के पीछे स्थित केदारडोम (22408 फीट) और अन्य हिम-षिखरों की हिम-राषि पर सूरज की पहली किरण पड़ने के बाद हर पल बदलने वाले दृश्य कैमरों में कैद किये जा सकते हैं । साथ ही वासुकी ताल पर पड़ती उगते हुए सूरज की किरणों  को भी देखा जा सकता है । यदि अनुभवी ट्रैकर न हों तो वासुकी ताल के पास टैंट लगा कर कैंपिग भी की जा सकती है । वासुकी ताल के पास और ऊंपर सुरक्षित और अच्छा कैंपिग ग्राउंड है।

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bramhkamal

वासुकी  ताल को लैंड आफ ब्रम्हकमल भी कहा जाता है।सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसाद के रुप में ब्रम्हकमल ही चढाया जाता है।ब्रम्हकमल को लेने के केदारनाथ से ब्राह्मण नंगे पांव वासुकीताल पहुचते है और केदारनाथ धाम वापस लौट कर इन्हे भोलेनाथ के चरणों में चढाया जाता है।वासुकी ताल में ब्रह्मकमल की बगियां को निहारना है तो जुलाई अगस्त का समय सबसे अच्छा है ।

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Sandeep Gusain

नमस्ते साथियों।

मैं संदीप गुसाईं एक पत्रकार और content creator हूँ।
और पिछले 15 सालों से विभिन्न इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनल से जुडे हूँ । पहाड से जुडी संवेदनशील खबरों लोकसंस्कृति, परम्पराएं, रीति रिवाज को बारीकी से कवर किया है। आपदा से जुडी खबरों के साथ ही पहाड में पर्यटन,धार्मिक पर्यटन, कृषि,बागवानी से जुडे विषयों पर लिखते रहता हूँ । यूट्यूब चैनल RURAL TALES और इस blog के माध्यम से गांवों की डाक्यूमेंट्री तैयार कर नए आयाम देने की कोशिश में जुटा हूँ ।

5 responses to “ब्रह्मकमल की दुनिया-वासुकी ताल जहाँ होती है वासुकी नाग की पूजा”

  1. Vikas says:

    Sandeep ji hum Vikas Khanna hai aapk sabhi vlogs dekhta hu aap k saath vasuki taal trek par jaane ki ichcha hai yadi sambhav ho sakta hai to zarur bataiye ga
    Vikas New Delhi

    • Sandeep Gusain says:

      धन्यवाद vikas ji ! जरूर जब कपाट खुलेंगे तो आपको बता दिया जायेगा।

  2. प्रकाश कुमार गुप्ता says:

    सर, आपका कंटेंट में दम है। visual या audio सभी बढ़िया हैं। आपको शुभकामना और आप ख्याति पाएं।

  3. Sandeep Gusain says:

    धन्यवाद प्रकाश ji।

  4. Vinod paikrao says:

    Thank you very much

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