दायरा बुग्याल का प्रवेश द्वार-बार्सू

बार्सू गॉंव उत्तराखंड के सीमांत जिले उत्तरकाशी में स्थित है। दिल्ली से 470 किमी की दूरी पर स्थित है जबकि देहरादून से 180 किमी की दूरी पर हिमालय की गोद में ये गॉंव बसा हुआ है। गॉंव से 4 किमी की दूरी पर बरनाला ताल स्थित है मान्यता है कि यहाँ बासुकी नाग विराजते हैं। बासुकी नाग से ही इस स्थान का नाम बार्सू पड़ा है। स्थानीय लोग बताते है कि आज से 4 सौ साल पहले इस स्थान पर बकरी चराने के लिए यमुनोत्री घाटी के नारायणपुर गॉंव से गड़ेरिया पहुँचा। इसके बाद उसने इस जगह पर चौलाई की बुआई की और फिर अपनी बकरियों को लेकर गिडारा की तरफ चला गया। 4 महीने के बाद जब वो यहाँ पहुँचा तो चौलाई की फसल लहलहा रही थी। उसके बाद वो इसी गॉंव में बस गया।
बार्सू गॉंव से हिमालय का दीदार

इस गॉंव की सबसे बड़ी खासियत है कि यहाँ से हिमालय की कई चोटियाँ दिखाई देती है। जिनमे द्रोपदी का डंडा, श्रीकंठ, जोगिन रेंज प्रमुख है। यहाँ से 7 किमी की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध दायरा बुग्याल, गिडारा, बकरिया टॉप स्थित है। बार्सू से आप डोडी ताल ट्रैक भी कर सकते है। इस गॉंव से मात्र 2 घंटे में आप गंगोत्री धाम पहुँच सकते है। बार्सू गॉंव एक इको टूरिज्म गॉंव भी है। लोक संस्कृति के रंग आपको किसी भी मेले या पर्व पर इस गॉंव में दिख सकते है। सबसे खास बात है कि यहाँ की मिट्टी काफी उपजाऊ है। आलू, मटर, चौलाई, राजमा के अलावा कई प्रकार की सब्जियों का उत्पादन यहाँ पर होता है। गॉंव कई होम स्टे है जहाँ आप रुक सकते है। पर्यटन गॉंव बार्सू में अब काश्तकार नई तकनीक से अपनी आमदनी बढ़ा रहे है।
सेब के बगीचों से तैयार हो रहा है गाँव

बार्सू गांव समुद्र तल से 2250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस गांव में सर्दियों के समय काफी बर्फबारी होती है। गांव में अब पारम्परिक खेती के साथ ही कैश क्राप का भी उत्पादन हो रहा है। उसमें मटर, आलू, बीन्स और गोभी प्रमुख है। जबकि गांव में सेब के बगीचे भी तैयार हो चुके है। जगमोहन सिंह रावत गाँव ने सेब के बगीचे लगाए है। इसके लिए उन्होंने तारबाड़ भी लगाई है जिससे जंगली जानवरों से सुरक्षित किया जा सके।
बार्सू गाँव में बना उत्तराखंड का पहला होम स्टे

बार्सू गांव में उत्तराखंड का सबसे पुराना और पहला होम स्टे स्थापित किया गया। इस होम स्टे में देश विदेश के सैकडों सैलानी प्रकृति का आनन्द ले चुके है। गांव में रवि रावत ने सबसे पहले पर्यटकों को रात्रि विश्राम के लिए गांव में टैंट की व्यवस्था की।धीरे धीरे उन्होने अपना होमस्टे तैयार किया जो आज सैलानियों की पहली पसन्द है। इसी तरह गांव के जगमोहन रावत ने भी गांव में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रिजार्ट तैयार किया है। वर्तमान समय में बार्सू गांव में करीब 18 होम स्टे रजिस्टर है। तेजी से पर्यटन गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु बार्सू में पलायन भी काफी कम है और स्थानीय युवा ट्रैकिंग और होमस्टे में स्वरोजगार से जुडे हुए है।

ट्रॉउड फार्मिंग ने बढ़ाई स्वरोजगार की संभावनाएं

जगमोहन सिंह रावत ने बार्सू में सबसे पहले ट्राउड फार्मिग की शुरुआत की जिसने आज पूरे इलाके में काश्तकारों को ट्राऊड मछली की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है। यहां अब बागवानी में भी लोग दिलचस्पी ले रहे है। सेब, आडू, पुलम और खुमानी की यहां काफी संभावनाएं है। प्रदेश में उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में ट्रॉउड फार्मिंग की जा रही है। ट्रॉयड मछली में कई पोषक तत्व होते है जो शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंत होते है।
आपके इस जुझारू प्रयास से देश विदेश के लोग उत्तराखंड की मनोहारी
प्राकृतिक परिवेश को देख कर यहां पर्यटन करने के लिये लालायित
हौगे जिस से यहां के युवाओ के लिये रोजगार के साधन खुलेगे
। इसके लिए आप को साधुवाद ।
धन्यवाद रावत जी
संदीप जी पहाड़ो में पर्यटन के असीमित द्वार आपके प्रयास से खुल रहे है इनका असर छेत्र की अर्थ व्यवस्था पर अवश्य पड़े गा. हम आपके प्रयास की सफलता की कामना करता हूँ. एक 75वर्षीय सेवनिवृत व्यक्ति के लिये उचित स्थान के होमस्टे का चयन कर दें जो सस्ता भी हो और नयनाभिराम भी
धन्यवाद जी
अशोक कुमार गुप्ता जी यह मेरा no.+91 70881 48544 है आप पता कर सकते हैं।