13 March, 2023

बद्रीनाथ का एक रोमांचक सफर

Badrinath Live Uttarakhand

कहानी कैमरामैन जितेंद्र पेटवाल की

केदरनाथ के कपाट खुलने के बाद जब राहुल गाँधी ने बाबा के दर्शन किए तो फिर मीडिया ने भी केदारनाथ से जाने का सिलसिला शुरु हो गया। अंकित भी काफी थक चुका था और उसने पैदल चलने से साफ मना कर दिया। पहले मंत्री और अधिकारी गए उसके बाद मीडिया कर्मियों को भेजने का सिलसिला शुरू हो गया। 12 बजे से  हेलीकॉप्टर सभी को नीचे फाटा और गुप्तकाशी में उतार रहे रहे थे। हमने अपना सामान पैक कर पोर्टर के हवाले नीचे भेज दिया अब इंजीनियर और ड्राइवर को भी नीचे हेली से भेज दिया था। दो बजे के बाद मौसम खराब होने लग गया और हम केदारनाथ में ही फंस गए। ये हमारे लिए मुश्किल घड़ी थी क्योंकि 26 अप्रैल को बाबा भू वैकुंठ धाम के कपाट खुलने थे।

बद्रीविशाल के कपाट 5 बजकर 15 मिनट पर ब्रम्ह मुहूर्त पर खुलने थे। अब हमारे पास केवल एक दिन बचा हुआ था। मुझे और पेटवाल को केदारनाथ में ही रुकना पड़ा। अधिकारियों ने कहा कि सुबह सबसे पहले आप लोगों को नीचे उतार दिया जाएगा।इसी बीच मुम्बई की एक महिला हेलीपैड में आई और अधिकारियों से विनती  करते हुए बोली कि उसके बेटे की तबियत खराब हो गई है उसे नीच गुप्तकाशी जाना है। मैं और पेटवाल अभी भी एमआई हेलीपैड पर बैठे थे। इसी उम्मीद में कि कोहरा हटेगा और हेली से हम भी नीचे चले जाएंगे। महिला परेशान होकर अधिकारियों से विनती कर रही थी। अधिकारी ने कहा कि अभी जनता के लिए हेली सर्विस शुरू नही हुई है। आज कपाट खुले है और कुछ दिन बाद से हेली सेवाएं संचालित होंगी। उन्होंने महिला से कहा कि आप यही रूक जाइये। यहाँ रुकने की व्यवस्था है और डॉक्टर भी है। लेकिन महिला बार बार विनती कर रही थी। उसका बच्चा करीब 4 साल का था। उसके पति ने भी आग्रह किया लेकिन अधिकारी ने यही जवाब दिया। इस बीच नीचे से सूचना आई कि एक हेली फाटा से उड़ान भर चुका है।

मैं ये सब देख रहा था। पेटवाल ने कहा कि इसकी स्टोरी बना लें। मैने एसडीएम उखीमठ से कहा कि आप उस महिला को क्यों नही भेज रहे जबकि उसे दिक्कत है। कपाट उद्घाटन समारोह इतना शानदार रहा अगर बच्चे को कोई दिक्कत आ गई तो इसका जवाब कौन देगा। मुझे काफी गुस्सा आ गया था। केदारनाथ में 2 बजे के बाद एयर प्रेशर काफी ज्यादा हो जाता है। जिन्हें केदारनाथ की आबोहवा नही शूट करती उन्हें सिर दर्द, पेट दर्द सहित कई दिक्कते आती है। हमने उनसे कहा कि जब दर्जनों पत्रकार, कांग्रेस के कार्यकर्ता, नेता और अधिकारी जा सकते है तो जिनके लिए पूरी केदार यात्रा का इतना हो हल्ला मचता है।मुसीबत में उन्हें ही मायूश होना पड़ता है।

ऐसा पहली बार नही हुआ बल्कि कई बार हमने केदारनाथ यात्रा में देखा है। हमारे विरोध के बाद अब अधिकारी को भी समझ आ गया कि अगर महिला और उसके बेटे को नीचे नही भेजा तो कही मुश्किल ना खड़ी हो जाए। जो हेली आया उसमे मुम्बई की महिला उसके बेटे और पति के साथ एक अन्य कर्मचारी नीचे चले गए और उसके बाद पूरी केदारघाटी में कोहरा छा गया और हमारी नीचे जाने की सभी उम्मीदें खत्म हो गई लेकिन एक तसल्ली थी कि जरूरतमंद को हेली से रवाना कर दिया। सुबह केदारनाथ में जितनी चहल पहल थी शाम होते होते उतना ही सन्नाटा पसर गया मानो अभी भी केदार बाबा समाधि में हो। उस सन्नाटे को पेटवाल की आवाज ने तोड़ा। पेटवाल ने कहा कि अगर सुबह भी बारिश और कोहरा लगा रहेगा तो हमे पैदल ही जाना पड़ेगा और अगर हम पैदल भी जायेंगे तो उसमें भी 5 से 6 घंटे का समय लग जाएगा। उसके बाद हमें करीब 200 किमी गाड़ी चलकर जाना है जिसमे करीब 7 घंटे लगेंगे। कही मुश्किल खड़ी ना हो जाए गुसाई जी। पेटवाल जी ने कह तो दिया लेकिन हम दोनों के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई। आईबीएन 7 की टीम रवाना हो चुकी थी। जब पत्रकारों को भेजा जा रहा था तब  आईपीएस अधिकारी संजय गुंज्याल ने कहा कि तुम लोग भी निकलो लेकिन हमने पहले अपने इंजीनियर और ड्राइवर को भिजवा दिया।

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हमारे साथ कुछ मीडियाकर्मी और भी रुके थे। अब हो क्या सकता था। मैंने पेटवाल जी से कहा कि केदारनाथ में मौसम कभी भी बिगड़ सकता है लेकिन सुबह बरसात के मौसम के अलावा कभी भी मौसम खराब नही होता। इतना अनुभव मुझे हो ही गया था। उच्च हिमालयी इलाको में 12 बजे के बाद मौसम खराब होना शुरू होता है। 2 से 4 बजे के आस पास बारिश या फिर बर्फ़बारी होती है और फिर 6 बजे मौसम साफ हो जाता है। स्थानीय बादल हर दिन यही प्रक्रिया को दोहराते है। अब साढ़े 3 बज चुके थे मौसम में कोहरे के साथ ही बर्फबाफी भी शुरू हो गई पेटवाल जी ने कहा कि अब टैंट में चलते है काफी ठंड हो गई है। 2015 में राज्य सरकार ने स्विस टैंट लगाए थे जिसमें एक टैंट में 10 लोग रुक सकते है। हम अपने टैंट में चले गए। थोड़ी देर बर्फबारी होने के बाद मौसम शाम को साफ हो गया। एक बार ठंड से ठिठुरते हुए हम बाहर आये। खाना खाने के बाद फिर से अपने टैंट में आ गए। हमें क्या मालूम कि अगले दिन जलजला आने वाला है। अंकित भाई से बात की और दोनों सोने की कोशिश करने लगे। नींद कब आई मालूम नही चला।

25 अप्रैल का दिन था। करीब 6 बजे हमारी नींद खुल चुकी थी। घाटी में सूरज की किरणें नही आई थी लेकिन उसकी लालिमा से नई ऊर्जा का संचार हो गया। बाबा केदारनाथ के ठीक पीछे खड़ा केदारडोम पर्वत पर सूरज की किरणें पड चुकी थी।हमने अधिकारियों को फोन किया तो उन्होंने हमें पहली हेली शॉर्टी से भेजने का आश्वासन दिया।हम तैयार होकर हेलीपैड पर आ गए।अंकित को भी फोन कर हमने हेलीपैड में आने को कह दिया था।सुबह करीब साढ़े सात बजे हम गुप्तकाशी के ऊपर बने हेलीपैड में पहुँच गए।हमारे पास ज्यादा टाइम नही था।समान अंकित भाई कल ही पोर्टर से लेकर गाड़ी में रखवा चुके थे।करीब साढ़े आठ बजे हम अपनी मंजिल की तरफ तेजी से बढ़ने लगे।केदारनाथ से बद्रीनाथ जाने का अब नया रास्ता है जिससे दूरी भी घट जाती है।

गुप्तकाशी से हमे कुंड-उखीमठ-चोपता-मंडल होते हुए गोपेश्वर जाना होता है।गोपेश्वर से करीब 10 किमी नीचे बद्रीनाथ नेशनल हाइवे मिल जाता है।हम करीब साढ़े 10 बजे चोपता से पहले एक स्थान पर रुके वहाँ हमने स्नान किया और नाश्ता कर चोपता की हसीन वादीयों से होते हुए आगे बढ़ने लगे।ये सड़क काफी संकरी है और नीचे सैकड़ो फ़ीट गहरी खाई।अब ड्राइविंग सीट पर पेटवाल जी बैठ चुके थे।चोपता से आगे घना जंगल है।जहाँ अगर आप पैदल निकल गए तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।करीब ढाई बजे हम जैसे ही नेटवर्क इलाके में आए तो घर से फोन आया कि कहाँ हो नेपाल में बहुत बड़ा भूकंप आया है।हम जैसे ही गोपेश्वर पहुँचे तो कई जगह फोन किया तो पता लगा कि नेपाल से करीब 80 किमी दूर 7.5 तीव्रता का बड़ा भूकंप आया था।

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भारी जान माल का नुकसान हो चुका था।उत्तराखंड में कई गांवों में दरार की खबरे आ रही थी।लेकिन इस भूकंप का हमे कुछ पता नही लगा शायद हम गाड़ी में चल रहे थे।चमोली से करीब 60 किमी पर जोशीमठ स्थित है और जोशीमठ से करीब 50 किमी की दूरी पर बद्रीनाथ धाम है।हमने अंदाजा लगाया कि हम 7 बजे तक तो पहुँच ही जायेगें।बद्रीनाथ में भी मीडिया का पूरा जमावड़ा था।ज़ी न्यूज़,ईटीवी,सहारा,इंडिया टीवी,आज तक सभी बड़े चैनल की ओबी आई थी।केदारनाथ से सभी चैनल की ओबी वैन को बद्रीनाथ के लिए रवाना कर दिया।जितेंद्र पेटवाल ने कहा कि कही ऐसा तो नही कि हमे गाड़ी खड़ी करने की जगह ही ना मिले।जितेंद्र पेटवाल देहरादून के पुराने कैमरामैन में एक है और पिछले 15 सालों का एक लंबा अनुभव प्राप्त है।जोशीमठ पहुचने के बाद पेटवाल और अंकित ने कहा कि चलो टाइम पर पहुँच गए।6 बजे हम जोशीमठ पहुँच गए थे अब अंधेरा होने लगा था।जोशीमठ में हमने चाय पी और आगे बढ़ गए।

गाड़ी अब भी पेटवाल जी चला रहे थे।मैंने खुद कहा कि आगे और भी मुश्किल सड़क है।जोशीमठ से पहले बद्रीनाथ में पहले गेट सिस्टम था।हर घंटे गाड़िया चलती थी।अब गेट सिस्टम खत्म हो गया है।गाड़ी धीरे धीरे गोविंदघाट,पांडुकेश्वर होते हुए बद्रीनाथ धाम से ठीक 7 किमी पहले पहुँची तो करीब 6 किमी का जाम लगा था।दूर से जब हमने देखा तो होश उड़ गए।कंचनगंगा के पास विशालकाय ग्लेशियर आया हुआ था।गाड़िया रेंगती हुई जा रही थी।अलकनंदा में भी ग्लेशियर आये थे।अब अंधेरा होने लगा।पेटवाल जी और मुझे चिंता होने लगी।

क्योकि बद्री विशाल के कपाट उद्घाटन समारोह में कम से कम 10 हजार से अधिक श्रद्धालु होते ही है।इस बार केदारनाथ के कपाट खुलने के समय भी काफी भीड़ थी।राहुल गांधी बद्री विशाल नही आ रहे थे लेकिन सीएम त्रिवेंद्र सहित कई मंत्री और विधायकों के अलावा श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़े थे।इस सफर को पूरा करने में हमे 10 बज गए।जब बद्रीनाथ पहुँचे तो गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई थी।धाम में श्रदालुओ ने जहाँ खाली सड़क देखी गाड़ी लगा दी।पेटवाल जी और अंकित भाई को अब चिन्ता सताने लगी कि फ्लाई वे का सामान मंदिर प्रांगण में कैसे जाएगा।

हमने अपने सभी दोस्त मिल गए।जगह जगह भंडारा लगा था।पूरे बद्री पूरी में बर्फ ही बर्फ जमी थी ठंड से शरीर काँपने लगा।सबसे पहले हमने अपना रहने का प्रबंध किया।इन सब में 11 बजे चुके थे।अंकित ने कहा कि हमे अभी सिंग्नल टेस्ट करने है।रात ग्यारह बजे अब पोर्टर कहाँ से ढूंढे? मैं और पेटवाल जी अब पोर्टर ढूंढने लगे करीब 20 मिनट के बाद हमें एक नेपाली मजदूर मिला और काफी गुजारिश के बाद वो हमारे समान ले जाने के लिए तैयार हो गया।करीब 12 बजे हमारा सामना मंदिर प्रांगण में आ गया।इस बीच रात को 12 बजे बर्फ़बारी शुरू हो गई।अंकित और पेटवाल ने फ्लाईवे को जोड़ना शुरू किया।फ्लाई वे को जोड़ने में काफी समय लगता है।साढ़े बारह बज चुके थे।

आईबीएन7 का भी फ्लाई वे रेडी था।अंकित ने फटाफट फ्लाई वे को रेडी किया और असाइनमेंट से बात कर सिग्नल ओके कर दिया।बर्फ़बारी से ठंड काफी बढ़ गई थी।बदरीविशाल मंदिर को गुलाब,गेंदा और तुलसी के फूलों से सजाया गया था।मंदिर प्रांगण के नीचे बहती कल कल नदी अलकनंदा और पीछे नारायाण पर्वत पर शेषनाग की आकृति दिखती है।इस बार जनरेटर हमारे पास था।करीब एक बजे हमने और आईबीएन7 की टीम ने मंदिर प्रांगण में अपने अपने फ्लाई वे पर प्लास्टिक बिछा दिया और कमरे पर निकल गए।पूरा बद्री विशाल मानो नई सुबह का इंतजार कर रहा था।बद्री विशाल में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी।

नोएडा आफिस में केवल लाइव के लिए जो सुबह साढ़े 4 बजे से शुरू होना था इसके लिए खुद अंजू मैडम आफिस में ही रुकी हुई थी इसके अलावा पीसीआर और इंजस्ट में भी कुछ लोगों को रोका गया था।एक लाइव के लिए ऑफिस में कई लोगों की टीम होती है।हम सब चेक कर सोने चले गए और सोचने लगे इस बार कोई दिक्कत नही आएगी।लेकिन दिक्कत ना आये ऐसा कैसे हो सकता है।

रात करीब डेढ़ बजे हम कमरे पर पहुँचें जो मंदिर प्रांगण से करीब 300 मीटर था।सुबह साढ़े 3 बजे का अलार्म लगा दिया गया यानी केवल 2 घंटे के लिए सोना है।कड़ाके की ठंड और बर्फ़ीली हवाओ के बीच नींद नही आ रही थी लेकिन पेटवाल और अंकित सो गए।सुबह ठीक 4 बजे पेटवाल जी ने मुझे उठाया और कहा कि हम जा रहे थे तुम भी तैयार हो जाओ और जल्दी आ जाना।अंकित पेटवाल और पायलेट तीनो निकल गए।मुझे बहुत नींद आ रही थी लेकिन इसके बावजूद मैं उठा और करीब 4 बजकर 20 मिनट पर आ गया।मैंने सोचा कि फ्लाई वे ऑन हो चुका होगा लेकिन रात भर ठंड और बर्फ़बारी के कारण जनरेटर फिर धोखा दे चुका था।इस बार हमारे बगल में आईबीएन7 की टीम का जनरेटर भी नही चल रहा था।तापमान शून्य से भी नीचे था।

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ऐसे में जनरेटर स्टार्ट करने की काफी कोशिश की गई।मंदिर के मुख्य गेट पर वेदपाठी मंत्रोच्चार के साथ कपाट खोलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे थे।ठीक 5 बजकर 15 मिनट पर कपाट वैदिक परंपराओं, माणा और बामणी गाँव की महिलाओं और हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में खुलना था।इस बीच करीब 1 किमी श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग चुकी थी।बद्रीनाथ कपाट उद्घाटन समारोह देखने लायक होता है।जिंतेंद्र पेटवाल ने अपना कैमेरा लगा दिया था।चुकी अंजू मैम खुद नोएडा ऑफिस में मोर्चा संभाल रही थी तो 4 बजकर 25 मिनट पर उनका फोन मेरे पास आया कि क्या हुआ सिग्नल क्यों नही मिल रहे।अब हम कैसे बताते कि कुदरत के आगे ये मशीन क्या है।

समय बीत रहा था और कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर क्या करें क्योंकि जनरेटर जब तक स्टार्ट नही होगा लाइव मुश्किल है।पेटवाल जी ने फिर एक बार वही बात कही की डायरेक्ट लाइट से ऑन करते है।मैंने अंकित से पूछा तो उसने ना हाँ कहा और ना भी नही कहाँ।लेकिन डर उसी का था अगर वोल्टेज बढ़ा तो लाखों की मशीनें फूँक सकती है।लेकिन हम तीनो ने फैसला ले लिया था।जय बद्रीविशाल का नाम लेकर मैंने मंदिर प्रांगण के नीचे बीकेटीसी के कमरों में गया और वहाँ सीधे डायरेक्ट लाइट से फ्लाई वे को जोड़ दिया।जैसे ही फ्लाई वे करेंट दौड़ा सब ऑन हो गया।पेटवाल जी और इंजीनियर ने 5 मिनट में सब ऑन कर दिया।हमने फौरन असाइनमेंट को बताया और अंजू मैम ने सीधे कमांड दी और कहा कि एंकर 7 बजे आएगी तब तक सारी एंकरिंग तुम्हें खुद करनी है।5बजकर 15 पर कपाट खुलना है और मैने लाइव एंकरिंग शुरू कर दी।मैंने पेटवाल जी को समझा दिया था कि केवल मैं और तुम है….. तुम सुंदर दृश्य दिखाते रहना और मैं पीछे से कॉमेंट्री करता रहूँगा।फ्लाई वे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि आप ईसे कही पर भी सेट कर सकते है।

मंदिर प्रांगण में केवल साधना न्यूज़ का लाइव ठीक 4 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो गया।बद्रीविशाल की कृपा से जिंतेंद्र पेटवाल खूबसूरत तस्वीरे दिखाता रहा और हम लगातार श्रद्धालुओं के साथ बातचीत करते रहे।ठीक 5 बजकर 15 मिनट पर कपाट खुल गए।मौसम आज साफ नही था ऐसा लग रहा था जैसे बर्फ गिरने वाली है।6 बजे तक मैंने लागातर लाइव किया।पहले कैमरा ट्राइपॉड पर था लेकिन बाद में पेटवाल जी ने उसे निकालकर हाथ से शूट करना शुरू कर दिया।बिना रुके और बिना थके हम लाइव करते रहे इस दौरान हमने देश और विदेश के कई भक्तों से बात की।एक महिला तो कनाडा से आई थी अपने परिवार के साथ।सीएम हरीश रावत और मंत्रियों के साथ भी लाइव हुआ लेकिन माणा और बामणी गाँव की महिलाओं ने अपने लोकगीतों और पारंपरिक नृत्यों के साथ समां बांध दिया।साढ़े 6 बजे बर्फ़बारी शुरू हो गई।भक्तों को जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।अब ठंड गायब हो चुकी थी।आस्था और विश्वास की गर्माहट से पूरा मंदिर प्रांगण बद्रीविशाल के जयकारों के साथ गूंज रहा था।

आधे घंटे के ब्रेक के बाद 7 बजे अंजली भंडारी भी आ चुकी थी।उसके बाद 7 बजे फिर 8 बजे फिर 9 और अंत में 10 बजे लाइव करने के बाद हमने थोड़ा आराम किया।भले ही केदारनाथ में हम आईबीएन7 से पीछे रह गए लेकिन हमने यहाँ कसर पूरी कर दी।श्रद्धालुओं की भीड़ का आलम ये था कि करीब 10 बजे अनिल अंबानी अपने चार्टर्ड प्लेन से बद्रीनाथ पहुँचे और मंदिर प्रशासन ने उन्हें वीआईपी दर्शन कराने की कोशिश की तो भक्त भड़क उठे।भगवान के दरबार में कौन बड़ा और कौन छोटा।करीब 1 घंटे के इंतजार के बाद अनिल अंबानी ने दर्शन किये।हम भी थक चुके थे।संजय जी लागातर देहरादून में बैठकर पूरी कवरेज देख रहे थे।उन्होंने भी टीम की हौसला अफजाई की।दरअसल इस पुरे लाइव कवरेज के लिए सबसे ज्यादा प्रयास उन्होंने ही किए।हम अपने मिशन में सफल हो चुके थे।पेटवाल जी के चेहरे पर थकान अभी भी नही दिख रही थी।हमने सेना के भंडारे में जाकर भंडारा लिया और देहरादून वापसी के लिये निकल गए बस यही बद्रीविशाल से दुआ करते रहे कि भूकंप से नुकसान कम हुआ हो।

Sandeep Gusain

नमस्ते साथियों।

मैं संदीप गुसाईं एक पत्रकार और content creator हूँ।
और पिछले 15 सालों से विभिन्न इलेक्ट्रानिक मीडिया चैनल से जुडे हूँ । पहाड से जुडी संवेदनशील खबरों लोकसंस्कृति, परम्पराएं, रीति रिवाज को बारीकी से कवर किया है। आपदा से जुडी खबरों के साथ ही पहाड में पर्यटन,धार्मिक पर्यटन, कृषि,बागवानी से जुडे विषयों पर लिखते रहता हूँ । यूट्यूब चैनल RURAL TALES और इस blog के माध्यम से गांवों की डाक्यूमेंट्री तैयार कर नए आयाम देने की कोशिश में जुटा हूँ ।

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