
भारतीय सेना का जवान कभी रिटायर नही होता
सेना में शामिल होना पहाड़ के हर युवा का सपना होता है। इसलिए हर दिन युवा इसकी ट्रेनिंग करते है लेकिन कई बार तकनीकी जानकरी और उचित प्रशिक्षण न मिलने से कई युवा सेना और अर्धसैनिक बलों की भर्ती में बाहर हो जाते हैं। युवाओं के सेना और पुलिस में भर्ती होने के सपने को सेना से ही रिटायर हुए एक जवान पूरा करने में जुटे है नाम है विजय डिमरी…विजय डिमरी निशुल्क युवाओ को इसकी ट्रेनिंग दे रहे है।
सेना से रिटायर होने के बाद शुरू की ट्रेनिंग

विजय डिमरी 18 मार्च 2002 में सेना में भर्ती हुए। शुरुआत में विजय 9th गढ़वाल में भर्ती हुए और फिर स्पोर्ट कोटे के तहत 22 गढ़वाल में शिफ्ट हो गए। सेना में वे बॉक्सिंग खेल खेलते रहे। रुद्रप्रयाग के तिलवाड़ा में जन्मे विजय जानते है कि आखिर कैसे पहाड़ के युवा फिजिकल और लिखित परीक्षा में बाहर हो जाते है। 2021 फरवरी में विजय सेना से रिटायर हुए और फिर ऋषिकेश के आइडीपीएल मैदान में हर दिन शाम को युवाओ को ट्रेनिंग दे रहे है।
ऋषिकेश के आइडीपीएल मैदान में दे रहे है प्रशिक्षण
विजय बताते है कि अगर सेना, पैरामिलिट्री और पुलिस में भर्ती के समय फिजिकल बहुत जरूरी है। थोड़ी बेसिक जानकारी के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो भर्ती होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। विजय डिमरी अभी करीब 80 युवाओ को ट्रेनिंग दे रहे है जिसमे करीब 40 के करीब लड़कियां भी शामिल है। पहले केवल 4 युवाओ के साथ विजय डिमरी ने इसकी शुरुआत की थी।धीरे धीरे विजय डिमरी के पास सेना और पुलिस में भर्ती होने का सपना देख रहे कई युवा आ गए। उनकी इस मुहिम का स्थानीय लोग और उनके सेना के सहयोगी भी भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे है।

प्रशिक्षण शिविर लड़कियों में गजब का उत्साह
पिछले 2 महीने से ट्रेनिंग ले रही दीपिका गुसाईं कहती है कि पहले वे फिजिकल रूप से काफी कमजोर थी लेकिन अब उन्होंने विजय सर की गाइडेंस में काफी सुधार किया है। एकता कहती है कि उन्हें सेना में भर्ती होना है पिछली बार वो फिजिकल में बाहर हो गई थी इस बार वो सेना में भर्ती होकर रहेगी। केवल लड़के और लड़कियां ही नही बल्कि शादीशुदा महिलाये भी हर रोज कड़ी मेहनत कर रही है। पौड़ी गढ़वाल की रीना कहती है पति होटल लाइन में काम करते है हर रोज शाम को पहले दोनो बच्चों को ट्यूशन में छोड़ती हूँ फिर वहाँ से दौड़कर आती हूँ और ट्रेनिंग खत्म होने के बाद फिर दौड़कर जाती हूँ।
युवाओ को नशे की लत से दूर रखना भी उद्देश्य

विजय डिमरी के मन में निशुल्क प्रशिक्षण का विचार सेना से रिटायर होने के बाद आया। वे कहते है कि युवाओ के जोश और जज्बे को सही दिशा की जरूरत है वरना कई बार यूआ नशे की गिरफ्त में आ जाते है। हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश में नशे का कारोबार युवाओ को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। उनके बड़े भाई भी पुलिस में है। विजय खुद 2002 में सेना और पुलिस दोनों में भर्ती हुए लेकिन फौज के प्रति दीवानगी के कारण उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी।
फिजिकल और लिखित की भी तैयारी

विजय डिमरी अभी उत्तराखंड पुलिस पर फोकस कर रहे है। ट्रेनिंग वे फौज और पुलिस की दोनों की दे रहे है। वे कहते है कि फिजिकल करते समय खुद पर खुद पर विश्वास जरूरी है और सबसे पहले वे सभी के अंदर जोश और जुनून भर रहे है। वे हर दिन सभी को सामान्य ज्ञान की भी जानकारी देते है। सेना में दौड़, चिनप, लांग जम्प, छाती सहित कई एक्टिविटी में आज हर एक एक्सलेंट होना जरूरी है। विजय डिमरी की एक छोटी सी कोशिश समाज में एक नई सोच को जन्म दे रही है। अगर आप के आस पास भी ऐसे ही लोग है जो समाज के लिए अपना योगदान दे रहे है तो हमे ईमेल कर सकते है।
विजय डिमरी-+918979115310
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